गृघ्रसी रोग (Sciatica)
गृघ्रसी को गृघ्र शब्द से लिया गया है इसे Eagle माना गया है। इसका रोगी वैसे चलता है जैसे Eagle चलता है। इसमें गृघ्रसी नाड़ी (Sciatica nerve ) प्रभावित होती है -Inflammation like a eagle's berk.
गृघ्रसी व्याधि में रोगी प्राय एक पैर पर शरीर का भर लेकर चलता है। अर्थात एक पैर में वेदना होती है।
इस व्याधि में प्रकुपित वात से सिफ़्क़ प्रदेश की वात वाहिनियों का पक्षोभ होता है। और सिफ़्क़ प्रदेश से वेदना प्रारम्भ होकर कटी , उरु , जानू , जंघा और पाद इस मार्ग से अंगुली तक संचार होता है।
आधुनिक मतानुसार -
इसे Sciatica से सम्बंधित माना गया है। क्योकि इस प्रकार का शूल प्राय Sciatica Nerve के प्रदेश में होता है।
Sciatica is characterised by a sharp shooting pain running down back of thigh and aggravated by movement of limbs. low back pain radiating towards foot due to compression of sciatica nerve.
It is also called "lumber raticulopathy" (neuropathy) - the nerve do not work properly.
निदान -
आहार जन्य निदान- वात प्रकुपित आहार जो रुक्ष ,शीतल आहार, अलप आहार ,कटु , तिक्त , कषाय , विरुद्ध आहार सेवन।
विहार जन्य निदान - शोक , दिवास्वपन , उपवास, रात्रिजागरण , ऊट की सवारी ,घोड़े की सवारी , भय , ज्यादा चलना।
विशिष्ट निदान -
जीर्ण व्याधि
धातु क्षय
दोष - धातु का आवरण
असम्यक पंचकर्म
मर्म स्थान में आघात
आवरण युक्त
आमरस व्रद्धि
origin of pain L4 to S3 > pressure > pain start
According to modern etiology -
Lumbago ( low back pain )
Tumor of vertebral column
Hip joint disease
Spinal disc herniation- Vertebra are 31 and between each 2 vertebra a intervertebral disc (IVD) are present. The pressure between 2 vertebra increase which pressurizes the IVD , a buldge (a rounded swelling) arises ,which effect the spinal cord and then effect the nerve.
Spinal stenosis - passage where spinal cord travel down become narrow called spinal stenosis (संकुचन).
Spondylalistesis - vertebra slips out of position.
Pregnancy - weight of fetus increases spinal cord pressure i.e. nerve effect
Injury in spine, Infection in spine, Growth in spine.-IIG
Degenerative changes
Heavy weight lifting.
सम्प्राप्ति (Pathophysiology) -
निदान सेवन > केवल वात या काफ या वातकफ दोष का प्रकोप हो जाता है > सिफ्क प्रदेश की वात वाहिनीयों का प्रक्षोभ हो जाता है > रसवाह , रक्तवह , मांसवाह स्रोतस दुष्टि होना > सिफ़्क़ , कटी , उरु , जानू , जंघा , पाद प्रदेश में क्रमश वेदना उत्पन हो जाती है।
आधुनिक मतानुसार - Take etiology का सेवन > compression (दबाव) of nerve > Sciatica
भेद -
गृघ्रसी के दो भेद बताये गए है।
१. वातज गृघ्रसी
२. वातकफज गृघ्रसी
लक्षण - वातज गृघ्रसी - स्तम्भ (stiffness)
वेदना (pain )
तोद (सुचिवत पीड़ा )
स्फुरण (pulsation )
वातकफज गृघ्रसी - वातज गृघ्रसी के अलवा
स्पंदन नहीं होता *
तन्द्रा (drowsiness )
गौरव (havyness)
अरुचि (anorexia )
अग्निमांध
रूप -
वेदना सिफ़्क़ सुरु होकर पैरो की अंगुलिओं तक जाता है तथा यह वेदना Posteriorly होती है।
सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है , रोगी को स्तम्भ (stiffness ) का अनुभव होता है।
Contraction of muscle , रुक्ष व शुष्क होना।
According to modern-
Symptoms- It is most common in one leg and very rare in both two legs, having burning sensation, muscle weakness, muscle contraction , SLR test is positive.
Diagnosis/Investigation-
1.History taking straight
2.SLR test (leg rising test)
Laseague's sign- if leg between 70° to 30° with pain then present of Sciatica.
3. Coin test- भूमि पर गिरा हुआ सिक्का अगर व्यक्ति या रोगी घुटने मोड़ (knee band ) कर उठता है तो इससे पता लगता है की उसे sciatica है।
4. X-Ray - LS (lumbo sacral)
Anterior posterior / Lateral view
If nerve or anything defected it sown in x-ray then go for MRI
5.MRI (magnetic resonance imaging)
6.C.T. Scan
NOTE-- In human there is one nerve (i.e. Sciatica Nerve) in one leg so two legs has two SC Nerves.
These are the largest nerve in human body.
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