सितोपलादि चूर्ण -Sitopaladi churna

सितोपलादि चूर्ण -Sitopaladi churna

यह त्रिदोष नसक ओषधि है जो तीनो दोषो को - वत , पित्त , कफ इन तीनो दोषो का शमन करती है। इसका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है। इसका प्रयोग उदार रोग एवं कफ रोगो में किया जाता है। 

घटक  द्रव्य -

sitopaladi-churna-medicine

(Sugar)मिश्री -१.६०० ग्राम -१६ भाग 
(Tabasheer)वंशलोचन -८०० ग्राम -८ भाग 
(Piper longum)बड़ी पिपली -४०० ग्राम -४ भाग 
(Cardamom)छोटी इलायची -२०० ग्राम -२ भाग 
(Cinnamon)दालचीनी -१०० ग्राम -१ भाग 

विधि -

सितोपलादि चूर्ण को बनाने की  विधि इस प्रकार है। 
इन सभी द्रव्यों को अलग-अलग या एक साथ मिलाकर इमामदस्ते में कूट ले या mixer (grinder) में पीस ले उसके बाद वस्त्रपुट चूर्ण कर ले अर्थात कपडे से छान ले जिससे वह एक समान चूर्ण हो जायेगा उसके बाद उस चूर्ण को तोल कर एक कांच की शीशी में या बोतल में बंद करके रख दे , जिससे वह सुरक्षित हो जायेगा। 

मात्रा -

सीतोपलादी चूर्ण को १-३ ग्राम तक दिन में २ से ३ बार लेना चहिये , सितोपलादि चूर्ण को शहद या घी के साथ मिलाकर लेना चाहिए , भोजन करने से पहले या भोजन करने के बाद। 

प्रयोग -

सितोपलादि चूर्ण को कब प्रयोग करना चाहिए अर्थात किस किस रोगो में इसका प्रयोग करते है। 
यह सभी प्रकार के 
  • कास (Cough)
  • श्वास 
  • राजयक्षमा (tuberculosis )
  • जीर्णज्वर (New Fever)
  • अरुचि (Anorexia)
  • पित्त विकार 
  • धातुगत ज्वर 
  • मन्द अग्नि (indigestion)
  • सगर्भा स्त्रीयो 
  • अम्लपित्त (Acidity)

इन सभी विकारो में इनका प्रयोग लाभकारी होता है , इनके अतिरिक्त यह दाह , तृष्णा ,भ्रम आदि विकारो में भी उपयोग किया जाता है। 
सितोपलादि चूर्ण मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक होता है इसलिए मधुमेह के रोगियों को इसका सेवन नही करना चाहिए ,क्योकी इस ओषधि में आधे से ज्यादा मधुर रस का प्रयोग होता है जिससे यह मधुमेह के रोग को और अधिक बढ़ा देती है इसलिए मधुमेह के रोगो के लिए यह चूर्ण हानिकारक होता है। 
इसका प्रयोग शर्दी , जुकाम व कफ के रोगो में इसका उपयोग लाभदायक होता है। अस्थम और साइनस में भी यह बहुत लाभकारी प्रयोग होती है। जिनके फेफड़े कमजोर है उनको इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। यह फेफड़ो को मजबूत करने का काम करता है। जिनके हाथ पैरो में जलन होती है उनको भी यह सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए। कफ और कोल्ड से जिनलो कमजोई होती है उसमे भी यह प्रयोग करना चाहिए इससे कमजोरी दूर होती है। 
जिनको भूख नहीं लगती उनको और जिनको स्वाद का पता नही लगता उनको भी यह लेना चाहिए ये कहने में आपकी रुचि को बढ़ता है। 
जीर्ण ज्वर या पुराना बुखार हो या पसलियों में दर्द होने वाले रोगियों को भी यह लेना चाहिए उनके लिए यह बहुत लाभकारी है। 

सवीर्यता अवधी -

आयुर्वेद में सभी चूर्णों के अवधी समान बातयी है , चूर्ण को बनाकर कांच की शीशी में बंद करके रख देने के बाद वह २ वर्ष तक उपयोगी होती है ,तथा प्रयोग करने के २ माह तक ही उसकी वीर्यता बनी रहती है , उपयोग में लाने पर उसके अवधि २ महीने की होती है। 


इसकी प्रयोग मात्रा ३ से ५ ग्राम लेनी चहिये शहद के साथ मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए अगर शहद ना हो तो गुड़ के साथ मिलाकर इसका प्रयोग करे , इसका इस्तमाल कभी भी सूखा न करे। 
बच्चो में इसका अलप मात्रा में प्रयोग करना चहिये। इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं है इसको प्रयोग किसे भी वर्ग के व्यक्ति कर सकते है। 

sitopaladi-churna-medicine

Sitopaladi churn According to modern-

Sitopaladi churn is an ayurvedic medicine containing 
  • Sugar
  • Tabasheer
  • Piper longum
  • Elettaria cardamomum
  • Cinnamomum zeylanicum
It have an antihistamine effect, used for upper respiratory congestion and bronchial conditions.
it is widely used in cough and cold.

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