हिंग्वष्टक चूर्ण(Hingwastak churn)
Hingwastak chura in hindi-
यह अत्यधिक महत्पूर्ण ओषधि आयर्वेद का एक तोफा है जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत वे रोग रहित बनाती है |
अपचन , अधिक खाना खा लेने से शरीर के पाचन सकती से अधिक मात्रा में खाना खा लेने से पाचन पूर्ण नही होता जिससे आहार अजीर्ण हो जाता है जो अनेक को आकर्षित करता है |
हिंग्वाष्टक के साथ जयफल , कर्पूर आदि ओषधि मिलकत थोड़ी थोड़ी सेवन करने से अत्यधिक लाभ प्राप्त आता है |
हिंग्वाष्टक चूर्ण की परिभाषा -
हिंग्वाष्टक चूर्ण में मुख्य रूप से बहुत सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध हर्बल मसाले हैं। यह पाचन शक्ति में सुधार करता है। इसका उपयोग एनोरेक्सिया, अपच आदि के उपचार में किया जाता है। इसका उपयोग वात असंतुलन और वात से संबंधित रोगों जैसे कि सूजन, जोड़ों के रोगों आदि के उपचार में भी किया जाता है।
हिंग्वष्टक चूर्ण के घटक द्रव्य -
- सेन्धव लवण- ८०० ग्राम
- शुण्ठी ( सोठ )- ८०० ग्राम
- बड़ी पिप्पली- ८०० ग्राम
- मरिच - ८०० ग्राम
- अजमोदा- ८०० ग्राम
- श्वेत जीरक- ८०० ग्राम
- श्याह जीरक- ८०० ग्राम
- शु० हींग- १०० ग्राम
विधि-
१ से ७ द्रव्यों को पृथक्-पृथक् वस्त्र पूट कर चूरण बना लें । पुनः गाय
के घी में हींग को हल्का भून लें तथा सभी को खरल में मर्दनकर पुनः चलनी
से छानकर बोतल में रख लें। यही हिग्वष्टक चूर्ण है .
मात्रा एवं ग्रुण-
इसकी मात्रा १ से ४ माशे तक घी, तक्र- गर्म या ऊष्ण पानी से लेना चाहिये ।
यह मन्दाग्नि एवं अरुचिनाशक है, दीपन-पाचन मे साहयक है । ग्रहणी, पाण्डु, अति-
सार, प्रवाहिका, आध्मान, गुल्म, शूल अम्लपित्त आदि उदर-विकारों का नाश
करता है ।
इस चूर्ण में सबसे अधिक हींग का प्रयोग हुआ है यह पेट के दर्द में अत्यधिक लाभकारी है आमाशय और पकावाश्य में वात के प्रकोप को शांत करता है , पाचक रासो के श्राव को नियंत्रित करता है हिंग्वाष्टक चूर्ण इसके असर से अमाशय व पक्वाशय के कर्मी नष्ट हो जाते है |
जिसा की इसके नाम से हमें पता चलता है हींग के सात कुल मिलाकर आठ तत्वों का इस्तेमाल किए जाता है इसको तैयार करने में जिनमे अजवायन ,सेंधा नमक ,सौंठ ,पीपल ,कली मिर्च ,सफेद जीरा , काला जीरा | इनमे पहले साथ द्रव्य समान मात्रा में लिए जाते है तथा हींग का अठवा भाग लिया जाता है इन सबको कूटकर ,छानकर रख लिया जाता है |
प्रमुख रूप से इसका उपयोग पाचन अग्नि को प्रबल करने के लिए किया जाता है जिन लोगो को खाना ठीक से हजम नही होता है उन लोगो को खाने के साथ इस हिंग्वाष्टक चूर्ण का इस्तेमाल करना चाहिए तथा उष्ण जल का सेवन करना चाहिए इसके तथा उन लोगो को अपने भूख से अर्ध मात्रा में आहार का सेवन करना चाहिए | जिन लोगो के अमाशय में वायु की अधिकता हो जाती है या पेट में वायु का गोला या गैस की समस्या , पेट में अफारा होने वाले रोगी इसका इस्तेमाल लाभकारी होता है इन सब रोगो में ३ ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण को उष्ण जल के साथ लेना चाहिए |
अधिकतर रोगियों को इसका सेवन भोजन करने से पूर्व ही करना चाहिए , इसे हल्का गरम पानी के साथ ही प्रयोग करना चाहिए |
गैस की समस्या में इसका प्रयोग कभी भी कर सकते है , इसका इस्तमाल अधिकतम दिन में तीन बार से ज्यादा नहीं करना चाहिए सामान्य रूप से दिन में दो बार इसका सेवन करना चहिये |
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