हिक्का रोग (Hiccough)/Hiccups Disease

हिक्का रोग (Hiccough)


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हिक्का व्याधि का परिचय-

आचार्य चरक ने हिक्का तथा श्वास रोग का एक ही अध्याय में वर्णन किया है। हिक्का वात कफज तथा आमाशय समुत्य व्याधि है। हिक्का कई व्याधियों का लक्षण हैं तथा एक स्वतन्त्र व्याधि भी हैं। कभी-कभी हिक्का बिना कष्ट के भी अल्प स्वरूप में उत्पन्न होती है परन्तु बिना चिकित्सा के स्वयं शान्त हो जाती है।


हिक्का की व्युत्पत्ति/निरुक्ति-

जिस व्याधि में हिक्-हिक् शब्द उत्पन्न होता है उसे हिक्का रोग कहते हैं।

हिक्का व्याधि का निदान-

आचार्य सुश्रुत मतानुसार हिक्का के निम्न निदान हैं-
१. विदाही द्रव्यों का अतिसेवन
२. गुरु, विष्टम्भी, रुक्ष तथा अभिष्यन्दी भोजन का अतिसेवन
३. अत्यधिक शीतल जलादि पेय पदार्थों का सेवन
४. अतिशीतल भोजन तथा शीतस्थान में निवास करना
५. रज, धूम, तेज हवा तथा अग्नि का सेवन
६. अति व्यायाम
७. साहस से अधिक कार्य करना
८. अतिभार वहन तथा अतिमार्ग गमन
९. वेग संधारण
१०. व्रत, उपवास आदि अपतर्पक कर्म अधिक करना
११. आमदोष, अभिघात तथा अतिव्यवाय
१२. क्षय रोग
१३. वातादि दोषों का अति प्रकोप
१४. विषमाशन, अध्यशन तथा समशन में लिप्त होना

कुछ व्याधियों के उपद्रवस्वरूप भी हिक्का उत्पन्र हो सकती है यथा-पाण्डु, अलसक, उर:क्षत, क्षय, उदावर्त, रक्तपित्त, विसूचिका, अतिसार, ज्वर, छर्दि आदि।

हिक्का की सम्प्राप्ति-

हिक्का की सामान्य सम्राप्ति-
आचार्य चरक ने हिक्का तथा श्वास की सामान्य सम्प्राप्ति का निम्न प्रकार वर्णन किया है-
निदानों के सेवन से प्रकृपित वात दोष प्राणवाही स्रोतस में प्रवेश कर वक्षप्रदेश में स्थित कफ को उभाड़ कर प्राण वायु का अवरोध उत्पन्न कर पाँच प्रकार की हिक्का तथा पाँच प्रकार के श्वास रोगों को उत्पन्न करती है।
हिक्का की विशिष्ट सम्प्राप्ति-
आचार्य चरक मतानुसार कफ के साथ वात दोष प्रकुपित होकर प्राणवह, उदकवह तथा अत्रवह स्रोतस में अवरोध उत्पन्न कर हिक्का रोग की उत्पत्ति करता है।
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हिक्का व्याधि के सम्प्राप्ति घटक-

दोष- प्राणवायु, उदानवायु + कफ
दूष्य- रस, श्वास वायु
अधिष्ठान- स्वरयंत्र, आमाशयोत्थ व्याधि
स्रोतस- प्राणवह, अन्नवह तथा उदकवह

स्नरोतोदुष्टि- संग तथा विमार्गमन
अग्निदुष्टि- अग्निमांद्य
स्वभाव- मृदु
साध्यासाध्यता- साध्य

हिक्का के भेद -

आचार्य चरक एवं सुश्रुत मतानुसार हिक्का के निम्न भेद हैं-
  1. महाहिक्का
  2. गम्भीरा हिक्का
  3. व्यपेता हिक्का
  4. क्षुद्रा हिक्का
  5. अन्नजा हिक्का

हिक्का रोग के पूर्वसप-

आचार्य चरक ने हिक्का के निम्न पूर्वरूप वर्णित किए हैं-
१. कण्ठ तथा उर:प्रदेश में गौरव (Heaviness in throat and chest region)
२. कटुकास्यता (Bitter taste of the mouth)
३. कुक्षि में आटोप (Fiatulance)


हिक्का के लक्षण-

मुख मार्ग से बार-बार हिक्-हिक् विशिष्ट ध्वनि का उत्पन्न होना।

हिक्का की साध्यासाध्यता-

१. महाहिक्का, गम्भीराहिक्का तथा व्यपेता हिक्का को आचार्यों ने असाध्य माना है।
२. क्षुद्रा तथा अन्नजा हिक्का साध्य होती हैं।
३. प्रलाप तथा तृष्णादि उपद्रव होने पर हिक्का असाध्य होती है।
४. वृद्धावस्था में उत्पन्न होने वाली हिक्का असाध्य होती है।
५. अति व्यवाय तथा अति व्यायाम के कारण उत्पन्न हिक्का असाध्य होती है।
६. हिक्का के कारण जिस रोगी का सम्पूर्ण शरीर खिंच जाता है, आँखें चत जाती हैं, अरुचि तथा क्षवथु आदि उत्पन्न हो जाता है, वह हिक्का असाध्य होती है।


Hiccough

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According to modern Latest Developments-

Definition-
This is an abrupt inspiratory muscle contraction fol-lowed immediately by closure of the glottis.

Actiology-
1. Diaphragmatic irritation by local mechanical causes.
2. Gastro-intestinal bleeding.
3. Lungs infections & Intracranial infections.
4. Myocardial Infarction.
5. Oesophageal diseases, Azotaemia & Tumours.
6. Intraabdominal diaphragmatic, supradiphragmatic & Central Nervous System disorders may precipitate hiccough.

Clinical Features-
1. Clonic diaphragmatic spasm occurs.
2. Abrupt inspiratory muscle contraction followed by closure of glottis occurs.
3. Heaviness in chest region.
4. Restlessness

Investigations-
1. Barium Contrast Examination
2. Ultrasonography
3. Angiography

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